About

यूँ ही कभी पहले एक ब्लॉग बनाकर कविताएँ लिखा करती थी, जिनमें बहुत जल्द ही दिलचस्पी मिट गई. फिर सालों बाद एक दोस्त की सलाह पर डायरी लिखना शुरू किया, ठीक वैसे ही जैसे पहले लोग घरों की किवाड़ पर, ज़रूरी-गैर-ज़रूरी बातें लिख दिया करते थे.

मेरे दिनों की लंबी चौखट पर लगी यह किवाड़, गुमख़याल अहाते में बिताए लम्हों की साक्षी है.