ख़त, स्वरा के नाम

स्वरा,

जब तुम्हें ये नाम दिया था तब खुद भी नहीं जानती थी कि एक दिन इस नाम से ज़रूरी कुछ न होगा। कई कई बार रात में तुम्हें सुलाते हुए मन ही मन न जाने कितनी बातें कहती हूँ, आज लिखने का जी हो आया है, इसलिए लिख रही हूँ। जब तुम उन्नीस किलो से बढ़कर उन्नीस साल की हो जाओगी, तब हम मिलकर यह ख़त देखेंगे, यही उम्मीद है।

तुम जानती हो तुमसे ज़्यादा प्यार मुझसे अब तक किसी ने न किया, मैंने ख़ुद भी नहीं। तुम जो हर आधे घंटे, घंटे भर में मुझे ढूंढने, देखने चली आती हो न किसी न किसी बहाने से इतनी बार तो मुझे तुम्हारे पापा ने भी न ढूंढा होगा, उन दिनों भी नहीं जब हमें दुनिया में एक दूसरे के सिवा कुछ न सूझता था।

तुम बड़ी हो जाओ, तब भी इसी तरह बेवजह दिन में कम से कम दस बार मुझे बाहों में भरना। तुम जो हर दो घण्टे में मुझे चूम लेती हो न, इसकी जरूरत तुमसे कहीं ज़्यादा मुझे है। तुम्हारी छोटी-छोटी आँखों में जो यकीन मुझे मेरे लिए दिखता है, पूरी दुनिया में कहीं नहीं दिखता। हद्द तो तब हो गई थी, जब एक बार मैंने तुम्हें बुरी तरह डाँट दिया था, तुम रो पड़ी थी मगर मेरे अलावा किसी की बाहों में न गई न ही किसी से शान्त हुईं। इतना समर्पण कि मेरे डांटने पर तुम्हारी नानी अगर तुमसे कहती हैं कि रुको अभी तुम्हारी मम्मा की ख़बर लेते हैं, तुम उनका हाथ पकड़ लेती हो।

हम एक ही स्कूल में थे, तब तुम अपनी क्लासेस खत्म होते ही मेरे पास चली आती थीं और मेरे आगे पीछे ही घूमती रहती थीं, दूसरी शिक्षिकाएँ तुमसे कहतीं तुम मम्मा की टेल हो क्या? तब तुम गुस्सा होने या चिढ़ जाने की बजाय बहुत खुश होकर कहतीं,’हाँ आई एम मम्माज़ टेल! मैंने कभी मज़ाक में किसी से कह दिया था तुम्हारे सामने कि हम पैकेज्ड डील हैं, बाई वन गेट वन फ़्री। उसके बात से तुम इतनी खुश रहतीं कि तुमने सब मिलनेवालों से कह दिया कि हम पैकेज्ड डील हैं। पिछले बरस जब मैंने स्कूल बदल दिया तुम करीब साल भर परेशान न सही मगर नाख़ुश रहीं, गाहे-बगाहे मुझसे पूछा कि मम्मा आपने डील क्यूँ तोड़ दी? अंततः मैंने अब तुम्हारा भी स्कूल बदल दिया है, हालांकि तुम्हें अपना ही स्कूल ज़्यादा पसंद है मगर तुम इस बात से ख़ुश हो कि हम अब फिर से पैकेज्ड डील हैं।

मेरी बच्ची काश मैं सीख पाती, तुम्हारी तरह तुम्हारा हो पाना।

तुम बड़ी होकर भूलना मत ख़ुद को और अपने इस स्वभाव को, और इतना प्यार ख़ुद से भी करना, बाक़ी मैं हूँ हमेशा तुम्हारे साथ।

तुम्हारी मम्मा

1 मई 2020

***

तस्वीर: 19 अप्रैल 2020, हैदराबाद। तुम्हारे पापा को तुम्हें इस फाउंटेन चोटी में देखना बेहद पसंद है और तुमने कभी अपने बालों में चोटी बांधने नहीं दी, तो अब जब तुम्हें मनाया जा सकता है, तुम्हारी इस चोटी में कुछ तस्वीरें ले ली गई हैं।

Leave a comment